आपदा में अवसर
सफलता मिलती नहीं हासिल करनी पड़ती है। मैं रश्मि कुमारी चार बच्चों में सबसे छोटी एक सुखी संपन्न परिवार में पली बड़ी, आसमान छूने की चाहत तो हमेशा से थी पर इस चाहत को अवसर तब मिला जब पूरी दुनिया थम गई। कोरोना के समय में जब घरों से निकलने और जमीन पर चलने पर पाबंदी लगा दी गई तब हमने उड़ने का संकल्प लिया। मेरे लिए यह सब सोचना उतना मुश्किल नहीं था क्योंकि मेरे पति रोशन कुमार को टेक्नोलॉजी में महारत हासिल है, मगर करना उतना ही मुश्किल था क्योंकि कुछ भी शुरू करने के लिए ना तो हम में समझ थी और ना ही हमें कुछ पता था कि क्या करें और कैसे करें? उन दिनों मेरे पति का काम भी वर्क फ्रॉम होम से ही चल रहा था। मैं हमेशा से ही उनके काम का हिस्सा थी क्योंकि आपकी खूबियां हो या खामियां आपके पार्टनर से बेहतर कोई नहीं समझ सकता |
हम दोनों के दिमाग में बस एक ही बात थी जो शायद उस स्थिति में हर दूसरे इंसान के मन में थी - यही कि हमें अपने देश के लिए, अपने लोगों के लिए, और अपने पूरे समाज के लिए कुछ करना है। उन दिनों कुछ शब्द जैसे एंटरप्रेन्योर या उद्यमी, इम्यूनिटी या प्रतिरक्षण,हाइजीन इन शब्दों को ध्यान में रखकर ही कुछ करना था। फिर हमने पढ़ना शुरू किया उस स्थिति को ध्यान में रखकर हमने बहुत कुछ ट्राई भी किया जैसे मास्क बनाया, मास्क मशीन भी बनाया पर कुछ मजा नहीं आया। हमारा मकसद सिर्फ पैसा कमाना बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि जब एक व्यापारी व्यापार करता है तो सिर्फ अपनी उन्नति को ध्यान में रखकर करता है पर जब एक एंटरप्रेन्योर या उद्यमी कुछ करता है तो उसका हिस्सा पूरा देश पूरा समाज पूरा समूह होता है। और उसका असर इन सब पर पड़ता है।
फिर हमने अपने चारों तरफ जब ध्यान से देखा तो पता चला कि जहां लॉकडाउन की वजह से दुनिया थम सी गई थी , हर तरफ सन्नाटा छाया था वही सिर्फ दो ही क्षेत्र ऐसे थे जिसकी रफ्तार चरम सीमा पर थी और वहां बहुत शोर था एक चिकित्सा जगत और दूसरा कृषि जगत क्योंकि इन दोनों के बिना जीवन संभव नहीं | फिर हमने मिलकर एग्रीकल्चर को पढ़ाना शुरू किया काफी पढ़ने के बाद हमें हमारी रिसर्च में यह पता चला कि एग्रीकल्चर में होने वाली परेशानियों का मुख्य कारण अंदाज से खेती करना है। जिसकी वजह से अनेकों समस्याएं उत्पन्न होती है तो हमें कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिससे यह सारी परेशानियां दूर हो जाए | फिर हमने ड्रोन पर काम करना शुरू किया जब हमने ड्रोन बनाया 2019 में तब तक इंडिया में लोगों ने एग्रीकल्चर में ड्रोन के इस्तेमाल पर या उसकी उपलब्धियां को सोचा ही नहीं था। लोग हमारी सोच पर हंसते थे पर हम भी कहां मानने वाले थे क्योंकि हमने अपनी रिसर्च में डाटा पर बहुत ध्यान दिया, 2020 फरवरी में पूसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में सबको ड्रोन से स्प्रे करके दिखाया | अब हम पूरी तरह से तैयार थे लेकिन हमें अभी भी उद्योग जगत का कुछ भी पता नहीं था और शुरुआत करें तो कैसे करें? यह एक बहुत बड़ी समस्या थी। उस वक्त हम लोग नोएडा में रहते थे। और फिर हम लोगों ने एक अच्छी खासी बसी बसाई जिंदगी छोड़कर बिहार के बेगूसराय जिले में आ बसने का सोचा। नोएडा छोड़कर बिहार आने के पीछे भी बहुत बड़ा उद्देश्य छिपा था, मेरे माता-पिता और मेरे पति श्री रोशन कुमार जी जो कि हमारी कंपनी टेक्नो ग्राउंड के सीईओ एवं को-फाउंडर भी है उनके माता-पिता का भी यही मानना था कि हम चाहे कितने ही कामयाब क्यों ना हो जाए जब तक हमारे ज्ञान, बुद्धि, हमारी पढ़ाई-लिखाई और हमारी काबिलियत का फायदा हमारे आसपास के उन लोगों पर नहीं पड़ता जिनको सही मायने में उसकी जरूरत है तब तक हमारी तरक्की का कोई महत्व नहीं। क्योंकि अपना और अपने परिवार का जीवन चलने के लिए तो पशु पक्षी भी संघर्ष करते हैं लेकिन सफलता का सही अर्थ तो वह होता है कि जब हमारे उद्देश्य से जुड़कर पूरा समाज उन्नति करें।
तो बस इसी सोच और जज्बे के साथ यहां आकर हमने जीरो से अपनी कंपनी टेक्नो ग्राउंड प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की और साथ ही में मैं और रोशन जी ने ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग भी ली। मैं बिहार की तीसरी महिला पायलट बनी और टीजीपीएल बिहार की पहली ड्रोन सर्विस कंपनी और हमारा लक्ष्य है कि टीजीपीएल ही बिहार की पहली ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी भी बने।
हमारे इस सफर में SABAGRIs And BAU, Sabour का बहुत बड़ा हाथ रहा है। विशेष कर SABAGRIs Team का और मिस्टर रहमान सर और मिस्टर जैसवाल सर की मेंटरशिप और उनकी गाइडेंस ने बहुत सहयोग किया है। हम उम्मीद करते हैं कि इसी तरह आपका और हमारा साथ बना रहेगा और हम सब तरक्की की नई ऊंचाइयों को छूते रहेंगे।